यंत्र अथवा कवच भी सभी तरह की मनोकामना पूर्ति में पूर्ण सहायक होते हैं । astroclasses.com
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यंत्र अथवा कवच भी सभी तरह की मनोकामना पूर्ति में पूर्ण सहायक होते हैं । आइये इसके निर्माण और सिद्धि के विषय में आपलोगों को बताता हूँ ।।
वशीकरण, सम्मोहन, आकर्षण, धनार्जन, सफलता, शत्रु निवारण, प्रेत बाधा निवारक अथवा किसी भी तरह के होनी-अनहोनी से बचाव के लिए प्रयोग में आने वाले बनाये गए यंत्र या कवच पूर्ण कारगर सिद्ध होते हैं ।।
अब रही बात कि बनाने वाले अथवा सिद्ध करने वाले ने किस लक्ष्य के साथ बनाया अथवा सिद्ध किया है ? किस विधी से किया है ? इसके लिए बहुत ही नियम बताये गए हैं, जिनका पालन अनिवार्य है इस तरह के किसी भी यंत्र के निर्माण अथवा सिद्धि के लिए ।।
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तो आइये आज इसी विषय में आपलोगों को कुछ गंभीर जानकारी देने का प्रयास करता हूँ, लेकिन आपलोग इस पेज को अपने मित्र मंडली में शेयर नहीं करते ये मुझे मालूम है । क्योंकि विजिटर हजारों की संख्या में हैं, और लाइक ... नारायण-नारायण ।।www.astroclasses.com & www.fb.com/astroclassess
अगर आपलोगों की तरह मैं भी अथवा आजतक हमारे जितने ज्योतिषी ऋषि-महर्षि हुए सोंचते तो क्या इस विद्या का इतना विस्तार हुआ होता ? नहीं न, अत: इस विद्या के विस्तारार्थ ही मैं ये कर रहा हूँ, आप सभी भी हमें सहयोग करें, क्योंकि धर्मों रक्षति रक्षितः = हम धर्म की रक्षा करेंगें तो धर्म हमारी रक्षा करेगा ।।www.astroclasses.com & www.fb.com/astroclassess
बंधुओं किसी भी तरह के यंत्र के निर्माण की प्रथम आवश्यकता होती है, उसके बाद उसकी सिद्धि की । तो निर्माण के लिए संस्कृत में बहुत लम्बे-लम्बे सूत्र बताये गए हैं हमारे ऋषियों द्वारा । लेकिन एक सरल सा मार्ग आपलोगों को मैं बता दूँ, क्योंकि इन्टरनेट और टेक्नोलोजी के ज़माने में जी रहे हैं हम । तो इसका कुछ लाभ तो लेना ही चाहिए न ?
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तो आपको जो भी यंत्र निर्मित करना हो उसके लिए पहले धातु का चयन करें । उत्तम स्वर्ण, ताम्र और भोजपत्र के पत्र पर माना जाता है । वैसे तो पीपल के पत्ते से लेकर जिस तरह की हमारी आवश्यकता हो वैसी प्रक्रिया बताई गयी है, लेकिन ये तीनों पत्र किसी भी तरह के यंत्र निर्माण के लिए सर्वोत्तम माना गया है ।।
अब आपने अगर धातु का चयन कर लिया, तो थोड़े अपने इन्टरनेट का इस्तेमाल कीजिये और जो भी यंत्र आपको बनाना हो उस यंत्र के चित्र को सर्च कीजिये । फिर उस चित्र के अनुसार उस यन्त्र का निर्माण अपने सुविधानुसार चयनित पत्र पर करें ।।
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अब आपको ये जानना जरुरी है, की किस दिशा की ओर मुँह करके किस यंत्र का निर्माण करना चाहिए । तो आपको बता देता हूँ, आपकी सुविधा के लिए की प्रत्येक यंत्र की दिशाएं निर्धारित होती हैं ।।
धन प्राप्ति से संबंधित यंत्र अथवा कवच पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करना चाहिए तथा अपने पूजा स्थल पर जब इसे स्थापित करें तो भी पश्चिमाभिमुख ही रखे जाते हैं । सुख-शांति से संबंधित यंत्र अथवा कवच पूर्व दिशा की ओर मुंह करके किए और रख जाते हैं ।।www.astroclasses.com & www.fb.com/astroclassess
वशीकरण, सम्मोहन या आकर्षण के यंत्र अथवा कवच को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके किए या रखे जाते हैं । शत्रु बाधा निवारण या क्रूर कर्म से संबंधित यंत्र या कवच दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके किए और रखे जाते हैं । इन्हें बनाते या लिखते वक्त भी दिशाओं का पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए ।।
इनकी सिद्धि हेतु इन्हीं दिशाओं का प्रयोग करना चाहिए एवं यंत्रानुसार उनके मन्त्रों का जपसंख्यानुसार जप फिर उसका दशांस हवन करके सिद्ध करना ।।
विशेष जानकारी हेतु किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें अथवा उन्हीं के द्वारा निर्मित यंत्र का प्रयोग करें बेहतर होगा ।।
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वास्तु विजिटिंग के लिए अथवा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने या कुण्डली बनवाने के लिए हमें संपर्क करें ।।
हमारे यहाँ सत्यनारायण कथा से लेकर शतचंडी एवं लक्ष्मीनारायण महायज्ञ तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य, विद्वान् एवं संख्या में श्रेष्ठ ब्राह्मण हर समय आपके इच्छानुसार दक्षिणा पर उपलब्ध हैं ।।
अपने बच्चों को इंगलिश स्कूलों की पढ़ाई के उपरांत, वैदिक शिक्षा हेतु ट्यूशन के तौर पर, सप्ताह में तीन दिन, सिर्फ एक घंटा वैदिक धर्म की शिक्षा एवं धर्म संरक्षण हेतु हमारे यहाँ भेजें ।।
सम्पर्क करें - बालाजी वेद, वास्तु एवं ज्योतिष विद्यालय, शॉप नं.-19, बालाजी टाउनशिप, Opp- तिरुपति बालाजी मंदिर, आमली, सिलवासा से संपर्क करें ।।
Contact to Mob - 08690522111.
E-Mail :: astroclassess@gmail.com
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।। नारायण नारायण ।।
यंत्र अथवा कवच भी सभी तरह की मनोकामना पूर्ति में पूर्ण सहायक होते हैं । आइये इसके निर्माण और सिद्धि के विषय में आपलोगों को बताता हूँ ।।
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अब रही बात कि बनाने वाले अथवा सिद्ध करने वाले ने किस लक्ष्य के साथ बनाया अथवा सिद्ध किया है ? किस विधी से किया है ? इसके लिए बहुत ही नियम बताये गए हैं, जिनका पालन अनिवार्य है इस तरह के किसी भी यंत्र के निर्माण अथवा सिद्धि के लिए ।।
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अब आपने अगर धातु का चयन कर लिया, तो थोड़े अपने इन्टरनेट का इस्तेमाल कीजिये और जो भी यंत्र आपको बनाना हो उस यंत्र के चित्र को सर्च कीजिये । फिर उस चित्र के अनुसार उस यन्त्र का निर्माण अपने सुविधानुसार चयनित पत्र पर करें ।।
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इनकी सिद्धि हेतु इन्हीं दिशाओं का प्रयोग करना चाहिए एवं यंत्रानुसार उनके मन्त्रों का जपसंख्यानुसार जप फिर उसका दशांस हवन करके सिद्ध करना ।।
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