लग्न भाव से सम्बंधित कुछ प्रमुख योग ।। Astro Classes, Silvassa.
हैल्लो फ्रेंड्सzzzzz.
लग्न भाव से सम्बंधित कुछ प्रमुख योग:-
मित्रों, लग्नेश कहाँ रहेगा आपकी कुण्डली में तो क्या फल देगा ? अथवा कहाँ किस घर का मालिक ग्रह लग्न में बैठा होगा तो क्या फल देगा ? आइये आज इस विषय पर ज्योतिष के कुछ प्रमुख सूत्रों का उल्लेख करते हैं ।।
१.लग्नेश शुभग्रह होकर यदि धन भाव में स्थित हो, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में निश्चय ही अकस्मात् धन प्राप्त करता है तथा उस धन का सदुपयोग भी करता है ।।
२.यदि किसी कुण्डली में लग्नेश दुसरे भाव में हो, दुसरे भाव का मालिक ग्रह यदि एकादश (लाभ) भाव में बैठा हो और एकादश भाव का स्वामी ग्रह यदि लग्न में हो तो भी निश्चय ही अकस्मात् धन प्राप्त करता है ।।
३.निर्बल लग्नेश ४/५/९ वें भाव में बैठा हो या अष्टमेश भी यदि ४/५/९ वें भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक जिसके साथ रहता है, उसका दिवाला निकालने वाला होता है ।।
४.पंचमेश यदि किसी जातक की कुण्डली में लग्न भाव में बैठा हो तो वह जातक अतुलनीय संपत्ति का मालिक होकर समस्त ऐश्वर्यों को भोगता है ।।
५.किसी जातक की कुण्डली में यदि सप्तमेश, नवमेश, एकादशेश तीनों लग्न में बैठे हों, तो ये जमींदार योग कहलाता है । ऐसा जातक ढेरों जमीन का मालिक होकर नौकर-चाकरों से घिरा रहता है ।।
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संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केंद्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
Contact to Mob :: +91 - 8690522111.
E-Mail :: astroclassess@gmail.com
Website :: www.astroclasses.com
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www.facebook.com/astroclassess
।।। नारायण नारायण ।।।
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१.लग्नेश शुभग्रह होकर यदि धन भाव में स्थित हो, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में निश्चय ही अकस्मात् धन प्राप्त करता है तथा उस धन का सदुपयोग भी करता है ।।
२.यदि किसी कुण्डली में लग्नेश दुसरे भाव में हो, दुसरे भाव का मालिक ग्रह यदि एकादश (लाभ) भाव में बैठा हो और एकादश भाव का स्वामी ग्रह यदि लग्न में हो तो भी निश्चय ही अकस्मात् धन प्राप्त करता है ।।
३.निर्बल लग्नेश ४/५/९ वें भाव में बैठा हो या अष्टमेश भी यदि ४/५/९ वें भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक जिसके साथ रहता है, उसका दिवाला निकालने वाला होता है ।।
४.पंचमेश यदि किसी जातक की कुण्डली में लग्न भाव में बैठा हो तो वह जातक अतुलनीय संपत्ति का मालिक होकर समस्त ऐश्वर्यों को भोगता है ।।
५.किसी जातक की कुण्डली में यदि सप्तमेश, नवमेश, एकादशेश तीनों लग्न में बैठे हों, तो ये जमींदार योग कहलाता है । ऐसा जातक ढेरों जमीन का मालिक होकर नौकर-चाकरों से घिरा रहता है ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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