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    पितृ दोष के लक्षण - पार्ट - १. Pitru Dosha, Part - 1.

    हैल्लो फ्रेंड्सzzzzz...

    जानिए कैसे बनता है पितृ दोष ? आपके, आपके बच्चों या फिर आपके किसी भी परिवार की कुण्डली में यदि पितृ दोष है, तो कैसा है एवं अपने जीवन में पितृ दोष के वजह से आनेवाली बाधाओं को जानें --

    "पितृ दोष के लक्षण - पार्ट - १.

    नवम भाव पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है । शास्त्रानुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है । पितृ दोष कुण्डली में एक ऎसा दोष है, जो सभी शुभता को समाप्त कर सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है ।।

    कुण्डली का नवां घर धर्म, भाग्य तथा पितरों का घर भी कहा जाता है । अगर किसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी । जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रहों की श्रेणी में आते हैं, वे हैं सूर्य, मंगल और शनि । ये कुछ ऐसे लग्न की कुंडलियों में ही अपना दुष्प्रभाव दिखाते हैं, लेकिन राहु और केतु सभी लग्नों में अपना दुष्प्रभाव देते हैं । नवां भाव, नवें भाव का मालिक ग्रह, नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो इसे पितृ दोष कहा जाता है ।।

    इस प्रकार का जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार के तनाव में रहता है । किसी न किसी वजह से उसकी शिक्षा पूरी नही हो पाती है । यहाँ तक की उसे जीविका के लिये भी कभी-कभी तरसना पड़ता है । ऐसे जातक किसी न किसी प्रकार से दिमागी या शारीरिक रूप से यदा-कदा अपंग भी देखे जाते है ।।

    अगर किसी भी तरह से नवां भाव या नवें भाव का मालिक राहु या केतु से ग्रसित है तो यह सौ प्रतिशत पितृदोष के कारणों में आ जाता है ।।
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    ।।। नारायण नारायण ।।।

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