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    Vasuki KaalSarpa Dosha. वासुकी नामक कालसर्प योग ।।

    वासुकी कालसर्प योग:--

    चलिए बन्धुओं कालसर्प दोष के सभी बारह प्रकारों में से तिसरा ''वासुकी कालसर्प दोष'' को उदाहरण सहित कुंडली प्रस्तुत करते हुए समझाने का प्रयास कर रहे है शायद आपलोगों को अच्छी तरह समझ में आये 



    3.वासुकी कालसर्प योग:--

    राहु तीसरे घर में और केतु नवम स्थान में और इस बीच सारे ग्रह ग्रसित हों तो वासुकी नामक कालसर्प योग बनता है । जातक का वैवाहिक जीवन दु:खमय रहता है । वह भाई-बहनों से भी परेशान रहता है । पारिवार के अन्य सदस्यों से भी आपसी खींचतान बनी रहती है । रिश्तेदार एवं मित्रागण उसे प्राय: धोखा देते रहते हैं । घर में सुख-शांति का भी अभाव रहता है ।।

    जातक को समय-समय पर व्याधि ग्रसित करती रहती हैं जिसमें अधिक धन खर्च हो जाने के कारण उसकी आर्थिक स्थिति भी असामान्य हो जाती है । अर्थोपार्जन के लिए जातक को विशेष संघर्ष करना पड़ता है, फिर भी उसमें सफलता संदिग रहती है । चंद्रमा के पीड़ित होने के कारण उसका जीवन मानसिक रूप से उद्विग्न रहता है ।।

    इस योग के कारण जातक को कानूनी मामलों में विशेष रूप से नुकसान उठाना पड़ता है । राज्यपक्ष से भी प्रतिकूलता बनी रहती है । जातक को नौकरी या व्यवसाय आदि के क्षेत्र में निलम्बन या नुकसान उठाना पड़ता है ।।

    लेकिन एक बात मैं दावे से कह सकता हूँ, कि इतना सब कुछ होने के बाद भी जातक अपने जीवन में बहुत सफलता प्राप्त करता है । विलम्ब से ही सही पर उत्तम भाग्य का निर्माण भी होता है और शुभ कार्य सम्पादन हेतु उसे कई अच्छे अवसर भी प्राप्त होते हैं ।।

    अनुकूलन के उपाय :---

    १.नव नाग स्तोत्र का एक वर्ष तक प्रतिदिन पाठ करें ।।

    २.प्रत्येक बुधवार को काले वस्त्र में उड़द या मूंग एक मुट्ठी डालकर, राहु का मंत्र जप कर भिक्षाटन करने वाले को दे दें । यदि दान लेने वाला कोई नहीं मिले तो बहते पानी में उस अन्न हो प्रवाहित करें । 72 बुधवार तक ऐसा करने से अवश्य लाभ मिलता है ।।

    ३.महामृत्युंजय मंत्र का 51 हजार जप राहु, केतु की दशा अंतर्दशा में करें या करवायें ।।

    ४.किसी शुभ मुहूर्त में नाग पाश यंत्र को अभिमंत्रित कर धारण करें ।।

    ५.शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से व्रत प्रारंभ कर 18 शनिवारों तक व्रत करें और काला वस्त्रा धारण कर 18 या 3 माला राहु के बीज मंत्र का जप करें । फिर एक बर्तन में जल दुर्वा और कुशा लेकर पीपल की जड़ में चढ़ाएं । भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, समयानुसार रेवड़ी तिल के बने मीठे पदार्थ सेवन करें और यही वस्तुएं दान भी करें । रात में घी का दीपक जलाकर पीपल की जड़ में रख दें । नाग पंचमी का व्रत भी अवश्य करें ।।

    ६.नित्य प्रति हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें और हर शनिवार को लाल कपड़े में आठ मुट्ठी भिंगोया चना व ग्यारह केले सामने रखकर हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और उन केलों को बंदरों को खिला दें और प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं और हनुमान जी की प्रतिमा पर चमेली के तेल में घुला सिंदूर चढ़ाएं । ऐसा करने से वासुकी काल सर्प योग के समस्त दोषों की शांति हो जाती है ।।

    ७.श्रावण के महीने में प्रतिदिन स्नानोपरांत 11 माला 'ॐ नम: शिवाय'' इस मंत्र का जप करने के उपरांत शिवजी को बेलपत्र व गाय का दूध तथा गंगाजल चढ़ाएं तथा सोमवार का व्रत करें ।।


    इस प्रकार के छोटे-छोटे उपायों से इस दोष से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शान्ति तथा व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होती है ।।

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    ।।। नारायण नारायण ।।।

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