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    आरती श्री चिन्तपूर्णी माताजी की ।। Astro Classes.

    आरती श्री चिन्तपूर्णी माताजी की ।। Astro Classes, Silvassa.

    चिन्तपूर्णी चिन्ता दूर करनी,
    जन को तारो भोली माँ॥

    काली दा पुत्र पवन दा घोडा,
    सिंह पर भई असवार, भोली माँ॥१॥

    एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा,
    तीजे त्रिशूलसम्भालो, भोली माँ॥२॥

    चौथे हथ चक्कर गदा पांचवे,
    छठे मुण्डों दी माल भोली माँ॥३॥

    सातवें से रुण्ड-मुण्ड बिदारे,
    आठवें से असुर संहारे, भोली माँ॥४॥

    चम्पे का बाग लगा अति सुन्दर,
    बैठी दीवान लगाय, भोली माँ॥५॥

    हरि हर ब्रह्मा तेरे भवन विराजे,
    लाल चंदोया बैठी तान, भोली माँ॥६॥

    औखी घाटी विकटा पैंडा,
    तले बहे दरिया, भोली माँ॥७॥

    सुमर चरन ध्यानू जस गावे,
    भक्तां दी पज निभाओ, भोली माँ॥८॥

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