Horoscope Janma Kundli, Astrology, मेष लग्न में लग्नस्थ ग्रहों का फल:-
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मेष लग्न में लग्नस्थ ग्रहों का फल:-
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आपकी कुण्डली में कौन सा ग्रह कहाँ बैठा है ? और किस जगह पर बैठा है तो क्या फल होगा ?
सर्वप्रथम मेष लग्न की कुण्डली में लग्न में अर्थात प्रथम भाव में बैठे ग्रहों का फल जानने का प्रयास करें ।।
मेष लग्न का स्वामी मंगल है और इस लग्न में मंगल लग्नेश और अष्टमेश होता है । गुरू, सूर्य, चन्द्र इस लग्न में कारक ग्रह की भूमिका निभाते हैं । बुध, शुक्र और शनि मेष लग्न में अकारक और अशुभ ग्रह का फल देते हैं ।।
मेष लग्न की कुण्डली में लग्न में स्थित सूर्य का फल :- मेष लग्न की कुण्डली में सूर्य पंचम भाव का स्वामी होता है । त्रिकोण का स्वामी होने से सूर्य इनके लिए शुभ कारक ग्रह होता है ।।
लग्न में सूर्य की उपस्थिति से व्यक्ति दिखने में सुन्दर और आकर्षक होता है । इनमें स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास होता है । शिक्षा की स्थिति अच्छी होती है । ये अपनी बातों पर कायम रहते हैं तथा कभी कभी अकारण विवाद में भी उलझ जाते हैं ।।
पिता से सहयोग प्राप्त होता है एवं जीवन के उत्तरार्द्ध में पिता से विवाद होने की भी संभावना रहती है । ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है तथा सूर्य अगर पाप ग्रहों से पीड़ित नहीं हो तो सरकार एवं सरकारी पक्ष से भी भरपूर लाभ मिलने की पूर्ण संभावना रहती है ।।
सूर्य के प्रभाव से संतान सुख भी सहजता से प्राप्त होता है । सूर्य अपनी पूर्ण दृष्टि से सप्तम भाव में स्थित शुक्र की तुला राशि को देखता है, इसके प्रभाव से व्यक्ति को सुन्दर जीवनसाथी प्राप्त होता है, जिससे जीवन में भरपूर सहयोग प्राप्त होता है । परन्तु कभी कभी जीवनसाथी के साथ अनबन होने से गृहस्थ सुख भी बाधित होता हुआ दीखता है ।।
अपने अगले अंक में मेष लग्न की कुण्डली में लग्न में अर्थात प्रथम भाव में बैठे चन्द्रमा का शुभाशुभ फल जानने का प्रयास करेंगें ।।
वास्तु विजिटिंग के लिए अथवा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने या कुण्डली बनवाने के लिए हमें संपर्क करें ।।
हमारे यहाँ सत्यनारायण कथा से लेकर शतचंडी एवं लक्ष्मीनारायण महायज्ञ तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य, विद्वान् एवं संख्या में श्रेष्ठ ब्राह्मण हर समय आपके इच्छानुसार दक्षिणा पर उपलब्ध हैं ।।
अपने बच्चों को इंगलिश स्कूलों की पढ़ाई के उपरांत, वैदिक शिक्षा हेतु ट्यूशन के तौर पर, सप्ताह में तीन दिन, सिर्फ एक घंटा वैदिक धर्म की शिक्षा हेतु एवं धर्म संरक्षणार्थ हमारे यहाँ भेजें ।।
सम्पर्क करें - बालाजी वेद विद्यालय, शॉप नं.-19, बालाजी टाउनशिप, Opp- तिरुपति बालाजी मंदिर, आमली, सिलवासा से संपर्क करें ।।
Mob - 08690522111.
E-Mail :: astroclasses@hotmail.com
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Balaji Veda Vastu & Astro Classes, Silvassa.
www.facebook.com/astroclassess
।।। नारायण नारायण ।।।
मेष लग्न में लग्नस्थ ग्रहों का फल:-
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आपकी कुण्डली में कौन सा ग्रह कहाँ बैठा है ? और किस जगह पर बैठा है तो क्या फल होगा ?
सर्वप्रथम मेष लग्न की कुण्डली में लग्न में अर्थात प्रथम भाव में बैठे ग्रहों का फल जानने का प्रयास करें ।।
मेष लग्न का स्वामी मंगल है और इस लग्न में मंगल लग्नेश और अष्टमेश होता है । गुरू, सूर्य, चन्द्र इस लग्न में कारक ग्रह की भूमिका निभाते हैं । बुध, शुक्र और शनि मेष लग्न में अकारक और अशुभ ग्रह का फल देते हैं ।।
मेष लग्न की कुण्डली में लग्न में स्थित सूर्य का फल :- मेष लग्न की कुण्डली में सूर्य पंचम भाव का स्वामी होता है । त्रिकोण का स्वामी होने से सूर्य इनके लिए शुभ कारक ग्रह होता है ।।
लग्न में सूर्य की उपस्थिति से व्यक्ति दिखने में सुन्दर और आकर्षक होता है । इनमें स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास होता है । शिक्षा की स्थिति अच्छी होती है । ये अपनी बातों पर कायम रहते हैं तथा कभी कभी अकारण विवाद में भी उलझ जाते हैं ।।
पिता से सहयोग प्राप्त होता है एवं जीवन के उत्तरार्द्ध में पिता से विवाद होने की भी संभावना रहती है । ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है तथा सूर्य अगर पाप ग्रहों से पीड़ित नहीं हो तो सरकार एवं सरकारी पक्ष से भी भरपूर लाभ मिलने की पूर्ण संभावना रहती है ।।
सूर्य के प्रभाव से संतान सुख भी सहजता से प्राप्त होता है । सूर्य अपनी पूर्ण दृष्टि से सप्तम भाव में स्थित शुक्र की तुला राशि को देखता है, इसके प्रभाव से व्यक्ति को सुन्दर जीवनसाथी प्राप्त होता है, जिससे जीवन में भरपूर सहयोग प्राप्त होता है । परन्तु कभी कभी जीवनसाथी के साथ अनबन होने से गृहस्थ सुख भी बाधित होता हुआ दीखता है ।।
अपने अगले अंक में मेष लग्न की कुण्डली में लग्न में अर्थात प्रथम भाव में बैठे चन्द्रमा का शुभाशुभ फल जानने का प्रयास करेंगें ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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